BA Semester-2 - History - History of Medival India 1206-1757 AD - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई. - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2720
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

अध्याय - 9 
मुगलकाल में वास्तु एवं चित्रकला का विकास

मुगल युग अपनी बहुमुखी सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण प्रसिद्ध है। इसीलिए उसे 'द्वितीय स्वर्ण युग' कहा गया है। पहला स्वर्ण युग उत्तर भारत में गुप्तयुग था। तैमूरिया वंश की अपनी महान् सांस्कृतिक परम्पराएँ थी। समरकन्द में उनका पैतृक राज्य मध्य एवं पश्चिम एशिया की सांस्कृतिक परम्पराओं का संगम स्थल था। बाबर स्वयं उस सांस्कृतिक परम्परा का प्रतिनिधि था। मुगलकालीन स्थापत्य कला मध्य एशिया की इस्लामी तथा भारतीय कला का मिश्रित रूप है जिसमें फारस, मध्य एशिया, तुर्की, गुजरात, बंगाल एवं जौनपुर आदि स्थानों की परम्पराओं का अद्भुत मिश्रण मिलता है। अपनी अति प्राचीन सांस्कृतिक विरासत से युक्त भारत नयी सांस्कृतिक परम्पराओं के विकास एवं समन्वय के लिए एक आदर्श स्थल था। मुगलकाल के दौरान सांस्कृतिक विकास के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष थे।

(क) मुगल संस्कृति मुख्यतः शाही और धर्म निरपेक्ष संस्कृति थी।

(ख) इस संस्कृति के विकास और समृद्धि में भारत के विभिन्न भागों तथा विदेशी लोगों का समान योगदान रहा और

 (ग) भारत में स्थापत्य कला, चित्रकला तथा संगीत आदि के क्षेत्र में मुगलों ने जिन सांस्कृतिक मानदण्डों की स्थापना की उससे परवर्ती शताब्दियों के दौरान भारतीय संस्कृति की भावी दिशा गहन रूप से प्रभावित हुई।

मुगल स्थापत्य कला का इतिहास बाबर से प्रारम्भ होता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने आगरा, धौलपुर, ग्वालियर में अनेक भवनों का निर्माण कराया। मुगल कालीन स्थापत्य की मुख्य विशेषता— संगमरमर के पत्थरों पर हीरे-जवाहरात से की गयी जड़ावट पित्राइरा एवं महलों तथा विलास भवनों में बहते पानी का उपयोग है। मुगलकाल में बाबर ने पानीपत के निकट काबुली बाग में एक मस्जिद (1529 ई0) में बनवायी। फारस का प्रसिद्ध चित्रकार 'बिहजात' (पूर्व का रैफेल) सम्भवतः बाबर के समय भारत आया था, क्योंकि तुजुके-बाबरी में एकमात्र चित्रकार 'विजहात' का ही नाम मिलता है, इसे बाबर ने अंग्रेजी चित्रकार कहा। मुगल चित्रकला की नींव हुमायूँ के शासनकाल में पड़ी। अपने निर्वासन के दौरान 'मीर सैय्यद अली और अब्दुस्समद' नामक दो फारसी चित्रकारों की सेवाएं प्राप्त की। जिन्होंने मुगल चित्रकला का शुभारम्भ किया।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • बाबर ने रुहेलखण्ड में सम्भल की जामी मस्जिद तथा आगरा में लोदी किले के भीतर एक मस्जिद बनवायी एवं ज्यामितीय विधि पर आधारित एक उद्यान आगरा में लगवाया जिसे 'नूर अफगान' नाम दिया गया।
  • हुमायूँ ने 1533 ई0 में दिल्ली में दीन पनाह (विश्व का शरण स्थल) नामक एक नगर का निर्माण करवाया। जो आज पुराने किले के नाम से विख्यात है।
  • इसके अतिरिक्त हुमायूँ ने हिसार जिले में 'फतहाबाद' नामक स्थान पर फारसी शैली में एक मस्जिद का निर्माण करवाया।
  • शेरशाह ने दिल्ली पर अधिकार करने के बाद 'शेरगढ़ या दिल्ली शेरशाही' नामक नये नगर की नींव डाली। यद्यपि इसके अवशेषों के रूप में अब 'लाल दरवाजा या खूनी दरवाजा' ही देखने को मिलता है।
  • 1542 ई0 में शेरशाह ने दिल्ली के पुराने किले के अन्दर 'किला-ए-कुहना' नामक मस्जिद का निर्माण करवाया और उसी परिसर में शेर मण्डल नामक एक अष्टभुजाकार तीन मंजिला मंडप का निर्माण करवाया।
  • किन्तु शेरशाह की सबसे महत्त्वपूर्ण कृति बिहार के सासाराम (आधुनिक रोहतास जिला ) नामक स्थान पर झील के बीच में एक ऊँचे चबूतरे पर निर्मित उसका मकबरा है। जिसमें भारतीय एवं इस्लामी निर्माण कला का अद्भुत सम्मिश्रण देखने को मिलता है।
  • अकबर के शासनकाल में बनी पहली इमारत दिल्ली में बना हुमायूँ का मकबरा है। यद्यपि इसके निर्माण में उसका कोई हाथ नहीं था।
  • हुमायूँ का मकबरा ज्यामितीय चतुर्भुज आकार के बने उद्यान के मध्य एक ऊँचे चबूतरे पर स्थित है। यह 'चार - बाग' पद्धति में बना प्रथम स्थापत्य स्मारक था।
  • इस मकबरे निर्माण का अकबर की सौतेली माँ हाजी बेगम ने फारसी वास्तुकार 'मीरक मिर्जा गयास' की देख-रेख में करवाया था।
  • इस मकबरों की योजना फारसी माडल एवं वास्तुकला की पंचरथ रचना से ली गई थी।
  • इस मकबरे की विशेषता 'संगमरमर से निर्मित इसका विशाल गुम्बद एवं द्विगुम्बदीय प्रणाली थी।
  • यह मुगलकालीन एकमात्र मकबरा है जिसमें मुगल वंश के सर्वाधिक लोग दफनाए गए हैं। हुमायूँ के इस मकबरे को 'ताजमहल' का पूर्वगामी कहा गया है।
  • अकबर ने (1565-73 ई0) अपनी राजधानी आगरा में एक किला बनवाया।
  • आगरे के दुर्ग में निर्मित 'जहाँगीरी महल' की नकल ग्वालियर के मानसिंह के महल से ली गई है।
  • अकबर ने 1570-71 ई0 में फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाया और वहाँ पर अनेक भवनों का निर्माण करवाया। जिन्हें दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। एक लौकिक दूसरा धार्मिक।
  • फतेहपुर सीकरी के भवनों की मुख्य विशेषता — “चाघकार एव धरणिक शैलियों का समन्वय" है।
  • राजपूत रानी जोधाबाई का महल 'फतेहपुर सीकरी का सबसे बड़ा महल था। यह फेतहपुर सीकरी का सर्वोत्तम महल था।
  • जामा मस्जिद को 'फतेहपुर का गौरव' भी कहा जाता है।
  • अबुल फजल के अनुसार - "इसने आलीशान इमारतों की योजना बनाई तथा अपने मस्तिष्क एवं हृदय की रचना को पत्थर एवं मिट्टी की पोशाक पहनाई।"
  • तुर्की सुल्ताना का महल इतना सुन्दर था कि पर्सी ब्राउन ने उसे स्थापत्य कला का मोती कहा है। फर्ग्युसन ने ठीक कहा है कि "फतेहपुर सीकरी किसी महान व्यक्ति के मस्तिष्क का प्रतिबिम्ब है। "
  • आगरा के पास सिकंदरा में स्थित 'अकबर का मकबरा' का निर्माण जहाँगीर ने 1613 ई0 में करवाया था।
  • जहाँगीर के समय में बना आगरा में एतमादुद्दौला का मकबरा है। इसमें पहली बार 'पित्रा' दूरा" का प्रयोग मिलता है।
  • शाहजहाँ का काल मंगल वास्तुकला का स्वर्णयुग माना जाता है। यह काल संगमरमर के प्रयोग का चरमोत्कर्ष का करता है।
  • इस काल की प्रमुख विशेषताएं नक्काशी युक्त या पर्णिल मेहराबें तथा बंगाली शैली में मुड़े हुए कंगूरे तथ्य जंगले के खम्भे आदि थे।
  • आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने 'शाहजहाँ के शासनकाल को वास्तुकला की दृष्टि से स्वर्णकाल कहा है।'
  • आगरे के किले में स्थित 'दीवाने - आम' ( 1027 ई०) संगमरमर से बनी शाहजहाँ के काल की पहली इमारत थी। इसके अतिरिक्त दीवाने खास (1637 ई०) तथा मोती मस्जिद (1654 ई0) संगमरमर से निर्मित अन्य इमारते हैं।
  • औरंगजेब ने दिल्ली में मोती मस्जिद का निर्माण कराया।
  • शाहजहाँ ने अपनी नवीन राजधानी दिल्ली (शाहजहानाबाद) 1648 ई० में एक चतुर्भुज आकार का किला बनवाया जो लाल बलुआ पत्थर से निर्मित होने के कारण 'लाल किले के नाम से प्रसिद्ध हुआ। निर्माण कार्य 1648 ई० में पूरा हुआ।
  • एक करोड़ रुपये की लागत से बना यह लाल किला 'हमीद अहमद' नामक शिल्पकार की देख- रेख में सम्पन्न हुआ।
  • इस किले के पश्चिमी द्वार का नाम लाहौरी दरवाजा तथा दक्षिणी द्वार का नाम दिल्ली दरवाजा है।
  • अकबर कालीन प्रमुख चित्रकारों में दसवन्त, बसावन, महेश, लाल मुकुन्द, सावल दास तथा अब्दुस्समद प्रमुख थे।
  • 'हम्जनामा' को पूर्ण कराने के लिए मीर सैयद अली को पर्यवेक्षक बनाया।
  • मुल्ला अलाउद्दीन कनवीनी ने अपने ग्रन्थ नफाइसुल मासिर में हम्जनामा को 'हुमायूँ के मस्तिष्क' की उपज बताया है।
  • अकबर ने दसवन्त को अपने समय का प्रथम अग्रणी चित्रकार तथा उसकी कृति रक्तनामा को मुगल चित्रकला के इतिहास को 'मील का एक पत्थर' कहा है।
  • दसवन्त बाद में मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया था और उसने 1584 ई0 में आत्महत्या कर ली थी। इसकी दो अन्य कृति मिलती हैं— खानदाने तैमूरिया एवं तूतीनामा।
  • बसावन अकबर के समय का सर्वोत्कृष्ट चित्रकार था क्योंकि वह चित्रकला के सभी क्षेत्रों, रेखांकन, रंगों के प्रयोग, छवि चित्रकारी तथा भू-दृश्यों के चित्रण में सिद्धहस्त था।
  • बसावन की सर्वोत्कृष्ट कृति है एक कृशकाय घोड़े के साथ एक मजनूं को निर्जन क्षेत्र में भटकता हुआ चित्र। पहली बार अकबर ने भित्ति चित्र आदि शुरू की।
  • जहाँगीर ने हेरात के एक प्रसिद्ध चित्रकार आकारिजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रशाला की स्थापना की।
  • जहाँगीर ने छवि - चित्र ( व्यक्ति चित्र ) प्राकृतिक दृश्यों एवं व्यक्तियों के जीवन से सम्बन्धित चित्रण परम्परा की शुरुआत की।
  • जहाँगीर का काल मुगल चित्रकला का चरमोत्कर्ष का काल था।
  • जहाँगीर के समय में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार उस्ताद मंसूर और अबुल हसन थे। जहाँगीर ने उन दोनों को क्रमशः नादिर - उल - असर तथा नादिर उद्र- जमा की उपाधि दी थी।
  • उस्ताद मंसूर पक्षी विशेषज्ञ था जबकि अबुल हसन को व्यक्ति चित्रों में महराथ हासिल थी।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय -1 तुर्क
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 खिलजी
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 तुगलक वंश
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 लोदी वंश
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मुगल : बाबर, हूमायूँ, प्रशासन एवं भू-राजस्व व्यवस्था विशेष सन्दर्भ में शेरशाह का अन्तर्मन
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 अकबर से शाहजहाँ : मनसबदारी, राजपूत एवं महाराणा प्रताप के सम्बन्ध व धार्मिक नीति
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 औरंगजेब
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 शिवाजी के अधीन मराठाओं के उदय का संक्षिप्त परिचय
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 मुगलकाल में वास्तु एवं चित्रकला का विकास
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 भारत में सूफीवाद का विकास, भक्ति आन्दोलन एवं उत्तर भारत में सुदृढ़ीकरण
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला

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